अनुKरण = अनुराग मालू = अनुकरण

My photo
Delhi // Madanganj-Kishangarh, Ajmer, Rajasthan, India

Sunday, August 22, 2010

"सारे दोस्त एक जैसे नहीं होते, सब तो फिर भी नमूने नहीं होते"

This post is very-very Special to me.....
"What I (anu-ka-ran) feels and thinks about FRIENDSHIP..... the Divine Relationship b/w either of living or non-living things........ anything".... !!


You have to judge and decide, and lemme know the Extent of Perfection and Imperfection in it.... You can have your views on various attributes as follows :: Suitability of the title, the feelings, the usage of words, the poetic rhyme, the grammar, level of difficulty, simplicity, length of whole poem, length of stanzas, etc... ..etc...


I hope, you will give your Judgment to the Best..... and accordingly I'll work hard to Improvise my HINDI POETRY WRITING SKILLS, and will come up with something more better and appropriate, as per as the Expectations of my readers, fans and followers. Thank You for your support. I wrote what I felt, what strikes my mind first..... ...... .....


I hope it will continue Forever.... Long Lasting.... !!! still Wishing you a Happy Friendship Second->Minute->Hour->Week->Day->Month->Year->Decade->Century-> ........ -> "Forever" !!! (although I know, Today is not the 1st Sunday of August)


Dedicated to all my Best Friends [(which includes my Mumma माँ too ...) + मैं और मेरी माँ , Ankit {Raxy}, Akarsh{Chintu/Prince}, Nikita{Nikki}, Jasmine {Jazzo....Auby ♥}, r-Priya {R-group}, Sonu Bhai, KK, Chilli{Anurag} Arpit{Appi}, Rachayeta, Anish, Akki Behna{Oak Tree}, Jai {roomy}, Sourav{Chiddi}, Dee....{3 D's = Divya, Deepika, Divya}, Arun Bajaj, Prince{Ballu}, MRA Gang {:)} n last bt nt d least..AUGEE {LAW group :D}..................... r my awesome friends...my strengths...life to me ...love dm all....Muaahh...n other loads of ggoood frnds are part of my lyf ....thanks for always with me ppl... ..


The Title of the Poem is 
"सारे दोस्त एक जैसे नहीं होते, सब तो फिर भी नमूने नहीं होते"


************************************************************************************************

"सारे दोस्त एक जैसे नहीं होते, 
   सब तो फिर भी नमूने नहीं होते"

अपनो से तो ना बोलो झूठ, कहीं वो बैठ ना जाए रूठ,
पछताओगे तुम भी,  पछताएँगे हम भी,
बिन तकरार ही पड़ जाए दरार, अमर दोस्ती हो जाए फरार|
सारे दोस्त एक जैसे नहीं होते, सब तो फिर भी नमूने नहीं होते||


दोस्ती में खिली हैं कई ज़िंदगियाँ, हुई न्योछावर भी अनेक हैं,
कहता हूँ बात मान ले सच, समय रहते बच जाएगा सब-कुछ|
सारे दोस्त एक जैसे नहीं होते, सब तो फिर भी नमूने नहीं होते||


ना बोल तू और झूठ रे, अपनी समझ-बूझ झलका दे रे,
"दोस्त" हैं वो खुदा का फरिश्ता, कृष्ण-सुदामा ने भी किया प्रमाणित हैं ये रिश्ता,
खुद ही कर ले अपनी मित्रता को बुलंद इस कदर, 
शत्रुता का बीज पनपने से पहले ही नेत्र-मोती जाए भर-भर,
सारे दोस्त एक जैसे नहीं होते, सब तो फिर भी नमूने नहीं होते||


जब आए कभी मुसीबत तो ना रहना अक़ेला पड़ा,
ज़रूरत में साया बनकर तू ही पर्वताभाँति अटूट रहा समक्ष मेरे खड़ा,
तेरी खातिर सहना पड़े चाहे हर कोड़ा,
बार-बार मेरे टूटने पर तू ही बना रोड़ा, 
सारे दोस्त एक जैसे नहीं होते, सब तो फिर भी नमूने नहीं होते||


मिले चाहे बरसों के बाद, 
रहेगा वो बिताया हर पल याद, 
जब-जब ना हुई मेहरबान ये किस्मत, 
पर मुझे हर उस मौके पर मिली तेरी ख़िदमत,
ना होने दिया मुझे कमज़ोर तूने "ए-दिल-इलाही" दोस्त,
सारे दोस्त एक जैसे नहीं होते, सब तो फिर भी नमूने नहीं होते||


मुसीबत में सुझाव तुम ही दिया करो, 
कुछ और नहीं बस इस रिश्ते की अहमियत को समझा करो,
दोस्ती में कर्ज़दार तो सब ही हैं होते, 
मौका तो वो हैं कौन जब कुर्बान हैं होते,
सारे दोस्त एक जैसे नहीं होते, 
सब तो फिर भी नमूने नहीं होते||


ना तू जारी करना दुश्मनी का फरमान,
मत लेना कभी इतना कठिन इम्तिहान,
तेरे लिए ज़ुबान पर हैं सिर्फ़ हान-हाँ,
तेरे आने की ख़बर सुन चित्त हैं मेरे कान,
सारे दोस्त एक जैसे नहीं होते, 
सब तो फिर भी नमूने नहीं होते||


इस बेजोड़ गाँठ को रखना हैं सर्वदा मज़बूत,
ख़ुदग़रजी से रखना हैं दूर हमे अपना पूत-बूत, 
देखना हैं अपनी मित्रता का नया आयाम,
करेंगे ये मिसाल भी हम क़ायम,
कसम हैं आज इस शायरियाना आलाप की,
सारे दोस्त एक जैसे नहीं होते, 

सब तो फिर भी नमूने नहीं होते||



हम भी जाने, तुम भी जानो, 
गर्म लौह पर उसके कदम से पहले अपना कदम बढ़ाना जानो,
किस्मत हैं मेरी मैं उनसे जुड़ा, 
उसकी दिलाई हिम्मत ने किया मुझे हर पल खड़ा,
कुछ ने तो दिखाया हमेशा वही आईंना, जहाँ मैं दिखा हर दम बड़ा,  
सारे दोस्त एक जैसे नहीं होते, सब तो फिर भी नमूने नहीं होते||


कुछ ने तो कराया उस अक्ष से भी मेरा सामना, 
जहाँ मेरा साया भी मेरे सामने आने से कतराया,
जिसके समक्ष "अनु" खड़ा ही नहीं हो पाया,
फिर भी हर बढ़ते कदम पर मैनें उनका (दोस्तों का) ही साथ पाया,
पलको पर बैठाकर रखना तू, ये हमारा अंदाज़, 
मुश्किल होगी करना, हैं तुझे नज़रअंदाज,
सारे दोस्त एक जैसे नहीं होते, 

सब तो फिर भी नमूने नहीं होते||



हिम्मत हैं उन्होने मुझे दिलाई, कठिनाई से लड़ने की, 
आदत हैं उसने दिलाई, बुरे वक़्त में जुझारू रहने की,
वो पथ हैं दिखलाते, जहाँ काँटे कम नज़र आते,
उनकी दास्तान में तो जितना लिखूं कम ही पड़ेगा,
क्यूँ कि "अनु" तेरी मौत पर परिजनों के समक्ष वो ही खड़ा मिलेगा,
बढ़ा दिया उसने हर हाथ, तेरी ज़रूरत के साथ,
भाग्य हैं तेरा, अगर सच्चे दोस्त की तलाश  पूरी हो जाए एक ही रात,
सारे दोस्त एक जैसे नहीं होते, 

सब तो फिर भी नमूने नहीं होते||



वो जो बतलाएगा तुझे, हो सकता हैं कुछ समय के लिए ना लगे सच,
सच्चा दोस्त दिखलाएगा तुझे तेरा वहीं अक्ष, जहाँ सुधारने का मौका हो तेरे पक्ष,
वो अक्ष देख एक बार, मैं सह ना सका और गिरा पड़ा,
हौले-हौले किया उसने मेरा दिल और बड़ा,
मुझे मंजूर नहीं उनसे बिछड़ना, ना ही आए रास उनसे नहीं लड़ना,
सारे दोस्त एक जैसे नहीं होते, 

सब तो फिर भी नमूने नहीं होते||



उस गौतखोर ने किनारे हैं लगाई मेरी नौका, 
भावनाओं के सागर में जब उसने अठखेलियाँ करते देखा,
यहीं उनकी निर्मलता, और निर्भयता का परिचायक
इस "श्रंखला-ए-अनुक" के हैं ये सभी नायक,
अर्द्ध-विराम के साथ चले अब महानायक,
साथ होगा आपका भी तो, बढ़ता ही चले यह महानायक||
सारे दोस्त एक जैसे नहीं होते, 

सब तो फिर भी नमूने नहीं होते||




~~~ अनुराग अनुKरण मालू 

 द्वारा स्वरचित काव्य श्रंखला "अनुकर

" में से कुछ पद्य ||

*************************
खुले रहो, खिले रहो, खाली रहो !!! खा..खा..खा... ख..ख..ख...   :)

2 comments:

  1. Excellent work man!!! actual literary stuff!! you write like a seasoned poet. Why don't you publish your own book on poems?

    ReplyDelete
  2. धन्यवाद श्रेया !!! Planned out to publish a series of 15-20 Hindi Poems by the end of the 8th semester. Lets see, if it work out.... and getting a good publishing house is difficult.

    Hope for the best... अनुKरण
    खुले रहो, खिले रहो, खाली रहो !!! :)

    ReplyDelete