अनुKरण = अनुराग मालू = अनुकरण

My photo
Delhi // Madanganj-Kishangarh, Ajmer, Rajasthan, India

Wednesday, September 8, 2010

ओ रे बहना, सुन रे बहना, मान भी कहना||

This post was 97% ready on the ewe of Raksha-Bandhan (रक्षा-बंधन),
but due to the rest 3% work left, I didn't post it.  I hope for the best in the coming future... Guyz, you can also share your experiences and feelings of love, affection and Graph of your relationship with your sister (Real/Cousin/by your Choice) in the comment box. 

आप रूठी हुई बहना रानी को मनाना चाहते हैं, तो भी अपनी बात यहाँ सबके समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं| मैंने एक बार ये बात पंचगनी में अपने दोस्तों और विरल भाई के साथ शेयर करी थी, और आज मेरे पास हर परेशानी का जवाब हैं|| यह कतई जरुरी नहीं हैं कि गलती केवल आपकी हो, या आपकी बहिन कि, ज्यादातर मौकों पर गलती दोनों कि ही नहीं होती हैं, कोई तीसरा ही इसके लिए जिम्मेदार होता हैं||

ओ रे बहना, सुन रे बहना, मान भी कहना||

कहाँ तू भूल चली वो दुनिया, ओ रे बहना,
किसी ने हैं बनाया तुझे अपना साया, सुन रे बहना,
तुझे सबके समक्ष हैं अपनाया, सुन रे बहना,
ओ रे बहना, सुन रे बहना, मान भी कहना||

कोई हो शिकवा, कोई हो परेशानी,
मुझे बतलाने में, ना कर तू कोई आनाकानी,
हूँ भाई और एक दोस्त भी, तेरी रक्षा करने की मैंने हैं ठानी,
ओ रे बहना, सुन रे बहना, मान भी कहना||

तेरी सुध-बुध से हूँ मैं बेख़बर,
अब ही नहीं बताया तो कब बताएगी मगर,
सुन इतना कठोर नहीं मेरा जिगर,
विचलित हो उठे और ना  सह सके ऐसी डगर,
ओ रे बहना, सुन रे बहना, मान भी कहना||

पछता रहे हैं दोनो पंछी, भटक रहे हैं गगन  में,
मुलाकात की चाह हैं दोनों के  मन में,
तलाश हैं दोनों को एक पलाश की,
सब सही हैं, जब राह हैं बस अटूट विश्वास की,
ओ रे बहना, सुन रे बहना, मान भी कहना||

सब गुस्सा छोड़, कर दे मुझको माफ़,
ऊपर वाला देखे, अगर मेरा दिल न हो साफ़,
विश्वास हैं बढ़ता रहे, हमारे प्रेम का ग्राफ़,
ओ रे बहना, सुन रे बहना, मान भी कहना||

तू हैं वो मोती, जो खोवेगा, सो पछताएगा,
आज नहीं तो कल, घर लौट कर ज़रूर आएगा,
ना दे और मौका एक-दूजे को बिछड़ने का,
गम के सागर में हिलोरे खाने का,
ओ रे बहना, सुन रे बहना, मान भी कहना||

ना आया समझ कभी, कौन हैं आया वो द्वेष-भाव हैं मान में लेकर,
प्रदूषित हैं करने, इस जगत रिश्ते को, एक भाई-बहिन को,
कर दे उसको दूर, उस निराशा के बीज को अपने से दूर-कोसों दूर ||
ओ रे बहना, सुन रे बहना, मान भी कहना||

बहना हैं फूलों का श्रृंगार, भुला दे क्रोध का अंगार,
छोड़ दे गगन में प्रेम का गुबार, खिल उठेगा फिर से हमारा घर-संसार ||
सुन और समझ मेरी स्वच्छता और निर्मलता को,
आई शपथ!!! कभी नही पनपने दिया मैनें मन में कपटता को,
ओ रे बहना, सुन रे बहना, मान भी कहना||

दूर कर दे द्वेष-भाव, कर ले मन को पावन,
उखाड़ फैंक कुलिशता के बीज, आज बो दे तू घर-आँगन में खुशहाली,
देखती जा कैसे खिलती हैं, दिलों में हरियाली,
होगी  रंगोली, और मनेगी  दीवाली,
हो पावन दृष्टि, तो  रचे नव-सृष्टि,
ओ रे बहना, सुन रे बहना, मान भी कहना||

चिर कर रख दे तू सारा कलेश,
देख बचेगा सिर्फ़-और-सिर्फ़ जीवन विशेष
ना रहा द्वेष, कर दे फिर से "भ्राताभिषेक",
हैं आज ही मौका उस बंधन का, मत छीन मुझसे वो मौका रक्षा का,
ना कर, ना हो इस पावन बंधन की महत्वता पर शक,
अपना ले, फिर मौका हैं इस मिलन का बेझिझक - बेझिझक ||
ओ रे बहना, सुन रे बहना, मान भी कहना||
ओ रे बहना, सुन रे बहना, मान भी कहना||

~~ “एक भाई की गुहार बहिन से”
~~ अनुराग "अनुKरण" मालू 

1 comment:

  1. a perfect poem to be printed in class 6 hindi text book.... however tumhari behene bahut impress ho gayi hongi....:)
    and u really have a gud command in hindi....

    garima

    ReplyDelete